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  • A Tomar
  • July 1, 2025

Today’s Intuition

महाभारत में अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने जब विश्वरूप दिखाया, तो वह हतप्रभ रह गए। यह केवल चमत्कार न था, यह वेदांतिक सन्देश था – ईश्वर केवल मूर्ति या मंदिर में नहीं, प्रत्येक कण में व्याप्त है। हर वस्तु, हर घटना, हर व्यक्ति में वही चेतना है। जब दृष्टि बदलती है, तब संसार भी ईश्वर का विस्तार लगने लगता है। ईशोपनिषद में कहा गया है – ‘ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।’जो सबमें ईश्वर को देखता है, वही अद्वैत को समझता है। विश्वरूप बाहर नहीं, दृष्टिकोण में छिपा है। जिस क्षण हम दूसरों में अपनी जैसी आत्मा पहचान लेते हैं और उसे परमात्मा से जुड़ा हुआ जान लेते हैं, तत्क्षण जीवन के प्रति हमारा नजरिया रूपांतरित हो जाता है।

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