Today’s Intuition
पुराणों में कामधेनु एक ऐसी गाय थी, जो मनचाहा वरदान देती थी। वेदांत इस कथा को प्रतीक की तरह देखता है कि मन भी एक कामधेनु है, जो जैसी भावना डालो, वैसा फल देता है। यदि उसमें लोभ, क्रोध और ईर्ष्या डालोगे, तो वही लौटेगा। भक्ति, ज्ञान, समर्पण डालोगे, तो आत्मिक फल मिलेगा। मन एक बीजशाला है, जो अंतःकरण की भूमि में अपनी प्रकृति अनुसार फल देता है। इच्छाओं की शुद्धता ही उसकी शक्ति है। जैसे कामधेनु बिना भेदभाव के देती थी, वैसे ही मन भी केवल भाव पर प्रतिक्रिया करता है। उसे जिस रंग में रंगोगे, वह वैसा ही परिणाम देगा – ‘यथाभावं तत्फलं।’ मन इच्छाओं की भूमि है, जैसा बोओगे वैसा पाओगे।

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