Today’s Intuition
वेदांत मृत्यु को अंत नहीं मानता। वह तो केवल देह का परिवर्तन है। आत्मा न कभी जन्म लेती है, न मरती है। जब हम इस सत्य को समझते हैं, तो मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। जीवन फिर संघर्ष नहीं एक यात्रा लगता है, जिसमें आत्मा हर अनुभव से कुछ सीखकर आगे बढ़ती है। मृत्यु केवल बाहरी शरीर का अंत नहीं, बल्कि पुराने दृष्टिकोणों, आदतों और अहंकारों की समाप्ति भी है। मृत्यु के साथ प्रत्येक मोड़ पर नवजीवन छिपा होता है। मृत्यु से डरने की बजाय उसे स्वीकार करना ही जीवन को पूर्णता में जीना है। यह स्वीकार ही आत्मा की अमरता का बोध कराता है। मृत्यु से डरने वाला अभी आत्मा को नहीं जानता।

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