Today’s Intuition
जो दिखता है, वह पूरा सत्य नहीं है। हम जीवन को केवल आंखों से देखना सीखते हैं। हम सोचते हैं, जो दिखाई दे रहा है वही सत्य है। लेकिन उपनिषद बार-बार हमें सावधान करते हैं – नेति नेति। यह भी नहीं, वह भी नहीं। हमारी इंद्रियां सीमित हैं। हम केवल नाम और रूप को पकड़ते हैं। परंतु नाम-रूप के पीछे जो चेतना है, वही असली सत्य है। माया का यही खेल है कि वह बदलते चित्र दिखाती है और हम इन अस्थायी चित्रों में स्थायित्व खोजने लगते हैं। जीवन में जितना हम इस गहरे सत्य को समझते हैं, उतना ही दुःख, मोह और लोभ से मुक्त होते जाते हैं। सत्य आंखों से नहीं, अंतःकरण से दिखता है। असली देखना बाहर नहीं, भीतर देखना है।

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