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  • A Tomar
  • July 8, 2025

Today’s Intuition

सत्य को कोई वाक्य में नहीं बांध सकता। शब्द सीमित हैं, पर आत्मा असीम। वेदांत कहता है कि जो मौन में उतरता है, वही आत्मा की झलक पाता है। वहां कोई तर्क नहीं, केवल उपस्थिति होती है। साधक को मौन को साधना बनाना चाहिए। मौन में वह अनहद ध्वनि गूंजती है, जो केवल सुनने से नहीं, अनुभव से प्रकट होती है। मौन में ही ईश्वर उतरता है। मौन वह भूमि है, जहां विचार समाप्त होकर बोध आरंभ होता है। जो मौन में ठहर गया, वह परम को पा गया। जहां वाणी लौट जाए, वहीं आत्मा का क्षेत्र आरंभ होता है। मौन केवल चुप्पी नहीं, वह आत्मा से संवाद की भाषा है। इसलिए थोड़ा सा मौन रोज निकालिए अपने लिए।





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