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  • A Tomar
  • July 25, 2025

Today’s Intuition

मृत्यु का नाम लेते ही एक गहरी असुरक्षा जागती है। पर वेदांत मृत्यु को न अंत मानता है, न दुर्भाग्य। बल्कि वह इसे एक द्वार मानता है – परिवर्तन की ओर। हम शरीर को ‘मैं’ मानते हैं, इसलिए मृत्यु ‘मेरा अंत’ लगती है। परंतु आत्मा कभी नहीं मरती। नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः। यह नष्ट नहीं होती, केवल शरीर बदलती है। मृत्यु हमें स्मरण कराती है कि जो स्थायी नहीं है, उससे चिपकना मूर्खता है। वह भीतर एक विवेक जगाती है कि जो अमर है, उसे जानो। जो मृत्यु को देखकर भी विचलित न हो, वही वास्तव में जीता है। मृत्यु दुखद घटना नहीं। वह गहरी जागृति का निमंत्रण है। मृत्यु को यूं जानकर ही गहरा जीवन संभव है।


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