Today’s Intuition
महाभारत में अर्जुन केवल योद्धा नहीं थे। वह हर उस मनुष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कभी न कभी अपने कर्तव्य से डगमगाता है। कुरुक्षेत्र में उनका धनुष छूट गया था, उनकी आत्मा कांप रही थी। परंतु भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें स्मरण कराया – अर्जुन तुम शरीर नहीं, आत्मा हो। युद्ध केवल बाहर नहीं, भीतर भी है। आज जब हम असमंजस में होते हैं कि क्या करें, कैसे निर्णय लें तब अर्जुन हमें सिखाते हैं कि धर्म का पथ भीतर से साफ़ होना चाहिए। उस पथ पर चलने का बल श्रद्धा से आता है। संशय कभी समस्या नहीं होता, उससे बाहर निकलना ही आध्यात्मिक यात्रा का पहला चरण है। मन में स्पष्टता हो, तो मुश्किल राहें भी आसान लगने लगती हैं।

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