Today’s Intuition
जब वेदांत कहता है ‘जगत मिथ्या है’, तो इसका अर्थ यह नहीं कि यह झूठ है। इसका आशय है कि यह बदलता है, इसलिए यह पूर्ण सत्य नहीं है। सच्चा वही है, जो सदा है – समय, स्थान और कारण से परे है। हमारी भावनाएं, हमारे विचार प्रतिक्षण बदलते हैं। यह संसार अनुभव है, सत्य नहीं। जो अनुभव के पीछे स्थित है, वही आत्मा है। शंकराचार्य ने कहा था – ‘ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः।’ जो अस्थायी है, वह असत्य नहीं, लेकिन वह शाश्वत भी नहीं। सत्य वह है, जो हर अनुभव के पीछे भी अपरिवर्तित बना रहता है। हमारा साक्षी होना ही सत्य है क्योंकि विचार तो चले जाते हैं, बदल जाते हैं। लेकिन साक्षी बना रहता है।

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