Today’s Intuition
शबरी न महलों में थीं, न किसी वंश की कुलीन थीं। वे एक वनवासी साधिका थीं, जो हर दिन राम की प्रतीक्षा में रहती थीं। उन्होंने राम को पाने के लिए तप, त्याग या जप नहीं किया, बल्कि श्रद्धा, प्रेम और निर्मल प्रतीक्षा की। जब श्रीराम उनके आश्रम पहुंचे, तो उन्होंने जूठे बेर खिलाए और राम ने प्रेम से उन्हें ग्रहण किया। यह दृश्य हमें सिखाता है कि ईश्वर को सिद्धियां नहीं, सच्ची भक्ति चाहिए। शबरी आज के युग में बताती हैं कि प्रतिदिन की निष्कलंक प्रतीक्षा और सरल हृदय ही साक्षात ब्रह्म को आकर्षित कर सकता है। प्रेम से किया गया छोटा कार्य भी ईश्वर तक पहुंच सकता है। इसलिए अपने हर कार्य में अधिकाधिक प्रेम भाव पिरोओ।

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