Today’s Intuition
हम सोचते हैं कि मैं एक व्यक्ति हूं। एक नाम, एक भूमिका। पर वेदांत इस धारणा को गहराई से तोड़ता है। वह पूछता है, क्या यह सब कुछ तुम हो? या तुम इन सबसे अलग, व्यापक, मौन एक उपस्थिति हो? जब हम गहराई में उतरते हैं, तो पाते हैं कि जो कुछ भी है, वह केवल सतह है। भीतर कुछ है, जो देख रहा है। जो बदलता नहीं, जो सदा है। वही सच्चिदानंद है यानी जो सत् (अस्तित्व), चित् (जागरूकता), और आनंद (स्वरूप) है। जब तुम जान जाते हो कि तुम शुद्ध अस्तित्व हो, तब जीवन सरल, सुंदर और शांत हो जाता है। ध्यान का अभ्यास हमारे वास्तविक रूप में चेतना को स्थिर करता है, इसलिए यथासंभव ध्यान का अभ्यास करें।

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